Edgar Allan Poe Ki Lokpriya Kahaniyan, Paperback / softback Book

Edgar Allan Poe Ki Lokpriya Kahaniyan Paperback / softback

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एलनोरा की सदरता और मासमियत एक सराफिम एजल की तरह थी, वह एक कआरी कनया थी, जो कतरिमता स कोसो दर थी और फलो क बीच अपनी छोटी सी निरदोष जिदगी गजार रही थी। उसक भीतर कोई छल-कपट नही था, सिरफ एक गहरा जननी अहसास था, जो सिरफ दिल स महसस किया जा सकता था। उसन मझ अपन दिल की गहराइयो स दखा, जब हम घाटी म रग-बिरगी घास पर साथ म चल रह थ। हमार इस फसल स जो बदलाव हए थ, हम उसक बार म बात कर रह थ।

उस दिन एक-दसर स लिपट हए, उसक बार म लबी बातचीत करन क दौरान एकबारगी तो उसकी आखो म आस आ गए और वह उदास हो गई कि कही यह मानवता क खतम होन स पहल क आखिरी पल तो नही, जो व बिता रह थ। वह उस पल कवल उनही दःख भरी बातो को लकर बठ गई, जो हमारी बातो क बीच म बार-बार उन छवियो जसी उभर रही थी, जस कवि शिराज क गीतो क वाकयाश की हर परभावशाली भिननता म बार-बार घटित होती थी।

-इसी पसतक स

एडगर एलन पो न मतय जस गढ विषयो पर गहन चितन किया और इस ही अपन लखन का विषय बनाया। उनकी कहानिया मानवीय सबधो क साथ-साथ कलपनाओ की उडान, अययारी तथा जादगरी की रोचकता स भरी ह, जो पाठको को बाध रखती ह।

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£13.31

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