Mahabharat Evam Srimadbhagavadgeeta Dharm Ka Samajshastriya Nirupan, EPUB eBook

Mahabharat Evam Srimadbhagavadgeeta Dharm Ka Samajshastriya Nirupan EPUB

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शरीमदभगवदगीता हिनदओ का गरनथ अवशय ह, लकिन इस मातर हिनदओ का धारमिक गरनथ रप म नही दखा जाना चाहिए। गीता म जिस जीवन-दरशन का परतिपादन हआ ह वह समसत मानव जाति क लिए उपयोगी ह। गीता परी मानव जाति और उनवफ विशवासो एव मलयो का आदर करती ह। गीता किसी विशिषट वयकति, जाति, वरग, पथ, दश-काल या किसी रढिगरसत समपरदाय का गरनथ नही बलकि यह सारवलौकिक, सारवकालिक धरमगरनथ ह। यह परतयक दश, परतयक जाति तथा परतयक सतर क परतयक सतरी परष क लिए ह। इसलाम म भी गीता-दरशन की सवीकति ह।गीता सारवभौम धरमगरनथ ह। धरम क नाम पर परचलित विशव क समसत गरनथो म गीता का सथान अदवितीय ह। यह सवय म धरमशासतर ही नही बलकि अनय धरमगरनथो म निहित सतय का मानदणड भी ह। गीता वह कसौटी ह, जिस पर परतयक धरमगरनथ म वरणित सतय अनावतत हो उठता ह और परसपर विरोधी कथनो का समाधान निकल आता ह। गीता म जिस जीवन-दरशन का परतिपादन हआ ह, वह निशचित रप स अतलनीय ह। इस पसतक को हर समदाय और विचारधारा क लोगो को अधययन करना चाहिए। गीता म बताय गय रासत पर चलन वाल वयकति कभी भी इस लोक या परलोक म पिछड नही सकत। गीता अधयातम का एक महान गरनथ ह। अनय धरम क आलोक म इसकी रचना मानव जाति क हित म की गयी ह। यह परी मानवता का पथ-परदरशक ह। गीता म विशवास करन वाला वयकति कभी उगरवादी और अमानषिक नही हो सकता ह। इस पसतक म यही परयास किया गया ह कि गीता क उपदशो को सरलतम भाषा म आम पाठको तक बिना किसी परवागरह क पहचाया जाय।

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