James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan Paperback / softback
by James Joyce
Paperback / softback
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Description
शाम का समय था। वह खिडकी क परदो स अपना सिर सटाकर बठी बाहर की ओर दख रही थी। लोग चल जा रह थ। आखिरी छोरवाल मकान म रहनवाला आदमी à¤à¥€ अपन घर की ओर जा रहा था, जिसक कदमो की आवाज उस साफ सनाई द रही थी। यहा कà¤à¥€ à¤à¤• मदान हआ करता था, जिसम रोज शाम को व दसर बचचो क साथ खला करत थ। बाद म बलफासट क à¤à¤• आदमी न उस खरीद लिया और उसपर पकक मकान बनवा दिà¤à¥¤
वही घर, जिसकी à¤à¤•-à¤à¤• चीज उसन खद सलीक स सजाकर रखी थी और अà¤à¥€ à¤à¤• सपताह पहल ही सब चीज à¤à¤¾à¤¡-पोछकर रखी थी। कमर म खडी-खडी वह à¤à¤•-à¤à¤• चीज को निहार रही थी, जिस शायद अब वह दबारा कà¤à¥€ नही दख पाà¤à¤—ी। परान टट पड हारमोनियम क ऊपर दीवार पर à¤à¤• तसवीर थी, लकिन उसका नाम अब तक वह नही जान पाई थी। इतना जानती थी कि व उसक पिता क सकल क दोसत थ।
-इसी पसतक स
परसिदध कथाकार जमस जवॉइस अपनी किससागाई क लिठखयात ह। उनकी कहानियो म मानव मन à¤à¤µ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ का गहराई स विशलषण दखन को मिलता ह। उनकी लोकपरिय कहानियो का पठनीय सकलन।
Information
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Available to Order - This title is available to order, with delivery expected within 2 weeks
- Format:Paperback / softback
- Pages:162 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:08/02/2022
- Category:
- ISBN:9789355212184
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- Pages:162 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:08/02/2022
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