James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan, Paperback / softback Book

James Joyce Ki Lokpriya Kahaniyan Paperback / softback

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शाम का समय था। वह खिडकी क परदो स अपना सिर सटाकर बठी बाहर की ओर दख रही थी। लोग चल जा रह थ। आखिरी छोरवाल मकान म रहनवाला आदमी भी अपन घर की ओर जा रहा था, जिसक कदमो की आवाज उस साफ सनाई द रही थी। यहा कभी एक मदान हआ करता था, जिसम रोज शाम को व दसर बचचो क साथ खला करत थ। बाद म बलफासट क एक आदमी न उस खरीद लिया और उसपर पकक मकान बनवा दिए।

वही घर, जिसकी एक-एक चीज उसन खद सलीक स सजाकर रखी थी और अभी एक सपताह पहल ही सब चीज झाड-पोछकर रखी थी। कमर म खडी-खडी वह एक-एक चीज को निहार रही थी, जिस शायद अब वह दबारा कभी नही दख पाएगी। परान टट पड हारमोनियम क ऊपर दीवार पर एक तसवीर थी, लकिन उसका नाम अब तक वह नही जान पाई थी। इतना जानती थी कि व उसक पिता क सकल क दोसत थ।

-इसी पसतक स

परसिदध कथाकार जमस जवॉइस अपनी किससागाई क लिए खयात ह। उनकी कहानियो म मानव मन एव भावनाओ का गहराई स विशलषण दखन को मिलता ह। उनकी लोकपरिय कहानियो का पठनीय सकलन।

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