Virginia Woolf Ki Lokpriya Kahaniyan Paperback / softback
by Virginia Woolf
Paperback / softback
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Description
सच कह तो तमहार साथ रहत हठमठà¤à¤¸à¤¾ महसस होता कि मिलानचोली नदी हम बरदाशत कर रही थी। चादनी रात म चाद की रोशनी तमहार चहर पर पडन क कारण म तमहार चहर को और उस पर आनवाल à¤à¤¾à¤µà¥‹ को दख रहा था, तमहारी आवाज को सन पा रहा था। बिसतर पर हम तब तक à¤à¤• साथ पड रहत, जब तक चिडियो क चहचहान की आवाज नही सनाई दन लगती।
लकिन अगर à¤à¤¸à¤¾ ह, तो फिर मन क अदर यह शोक कयो ह? म असतषट कयो ह? जबकि म यह अचछी तरह स जानता ह कि à¤à¤• दिन हर किसी को गलाब की पततियो क नीच सकन की नीद सोना ह। जहा सोन क बाद आप गबबार की तरह स हलक होकर सार दःख-तनाव को छोडकर आसमान म गोत लगाà¤à¤—। उस समय आप à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ दनिया म पहच चक होग, जहा हम तक कोई चाहकर à¤à¥€ पहच नही पाà¤à¤—ा।
-इसी पसतक स
अपन समय की चरचित लखिका वरजिनिया वलफ न विपल मातरा म लखन किया। सतरी-विमरश उनक लखन क कदर म रहा। सतरियो क मन की सपत à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“, दःख, उदासी तथा विडबनाओ को परमखता स अपनी कहानियो म परसतत किया ह। मन को à¤à¤•à¤à¥‹à¤°à¤¨ और सवदनाओ को सपषट करनवाली कहानियो का पठनीय सकलन।
Information
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Available to Order - This title is available to order, with delivery expected within 2 weeks
- Format:Paperback / softback
- Pages:170 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:08/02/2022
- Category:
- ISBN:9789355212122
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- Pages:170 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
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