Virginia Woolf Ki Lokpriya Kahaniyan, Paperback / softback Book

Virginia Woolf Ki Lokpriya Kahaniyan Paperback / softback

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सच कह तो तमहार साथ रहत हए मझ ऐसा महसस होता कि मिलानचोली नदी हम बरदाशत कर रही थी। चादनी रात म चाद की रोशनी तमहार चहर पर पडन क कारण म तमहार चहर को और उस पर आनवाल भावो को दख रहा था, तमहारी आवाज को सन पा रहा था। बिसतर पर हम तब तक एक साथ पड रहत, जब तक चिडियो क चहचहान की आवाज नही सनाई दन लगती।

लकिन अगर ऐसा ह, तो फिर मन क अदर यह शोक कयो ह? म असतषट कयो ह? जबकि म यह अचछी तरह स जानता ह कि एक दिन हर किसी को गलाब की पततियो क नीच सकन की नीद सोना ह। जहा सोन क बाद आप गबबार की तरह स हलक होकर सार दःख-तनाव को छोडकर आसमान म गोत लगाएग। उस समय आप एक ऐसी दनिया म पहच चक होग, जहा हम तक कोई चाहकर भी पहच नही पाएगा।

-इसी पसतक स

अपन समय की चरचित लखिका वरजिनिया वलफ न विपल मातरा म लखन किया। सतरी-विमरश उनक लखन क कदर म रहा। सतरियो क मन की सपत भावनाओ, दःख, उदासी तथा विडबनाओ को परमखता स अपनी कहानियो म परसतत किया ह। मन को झकझोरन और सवदनाओ को सपषट करनवाली कहानियो का पठनीय सकलन।

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